लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2785
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।

अथवा
महाकवि भूषण का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर -

रीतिकाल में श्रृंगार काव्य की रसपूर्ण धारा के साथ ही भक्ति काव्य, नीति काव्य और वीर काव्य की अन्य काव्य धारायें भी दिखायी पड़ती है। शृंगार के घोर विलासी वैभव के वातावरण में भूषण एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने वीर रस से ओत-प्रोत अपनी काव्य रचनाओं के द्वारा अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है। उन्होंने 'शिवराज भूषण' जैसे काव्य ग्रन्थ की रचना करके वीर काव्य परम्परा का मार्ग प्रशस्त किया। रीतिकाल में वीर रस की काव्य रचना करने वाले यद्यपि और भी कवि हैं, किन्तु रीतिकाल में वीर काव्य के प्रणेता भूषण ही माने जाते हैं।

परिचय - भूषण छत्रपति महाराज शिवाजी के समकालीन थे। इनके पिता का नाम रत्नाकर त्रिपाठी था जो कश्यप गोत्रीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि चिन्तामणि तथा मतिराम भूषण के भाई थे। उनका जीवन काल सन् 1913 से 1715 ई0 तक माना जाता है। आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के अनुसार उनका वास्तविक नाम घनश्याम था। 'भूषण' इनकी उपाधि थी जो चित्रकुट हृदयराम के पुत्र रुद्रसुलंकी द्वारा प्रदान की गयी थी-

कुल सुलंक चित्रकूट पति, साहस सील समुद्र।
कवि 'भूषण' पदवी हुयी, हृदयराम सुतरुद्र ॥

छत्रपति शिवाजी महाराज तथा छत्रसाल बुन्देला भूषण के आश्रयदाता थे। इन्हीं की प्रशस्ति, शौर्य पराक्रम के वर्णन में भूषण ने ओजपूर्ण काव्य ग्रन्थों की रचना की।

रचनायें - मुख्य रूप से भूषण की तीन काव्य रचनायें उपलब्ध हैं--

(1) शिवराज भूषण,
(2) शिवा बावनी,
(3) छत्रसाल दशक। '

शिवराज भूषण' एक अलंकार ग्रन्थ है। इसमें 384 छन्द हैं। इसमें दोहों में अलंकार के लक्षण और कवित्त- सवैयों में सम्बन्धित छन्दों के उदाहरण दिये गये हैं। इसके उदाहरणों में शिवाजी के जीवन की प्रमुख घटनाओं, युद्धों तथा शौर्य पराक्रम की अनेक गतिविधियों का ओजस्वी वर्णन हुआ है। मूल रूप से 'शिवराज भूषण' एक लक्षण ग्रन्थ है जिसकी रचना रीति काव्य की परम्परा के अनुसार ही की गयी है।

'शिवा बावनी' के 52 छन्दों में शिवाजी महाराज की यशोगाथा का ओजस्वी वर्णन हुआ है। 'छत्रसाल दशक' के दस छन्दों में छत्रसाल बुन्देला का यशोगान हुआ है। इन दोनों काव्य रचनाओं में वीर रस का सच्चा उत्कर्ष देखने को मिलता है। 'शिवराज भूषण' की रचना से भूषण की प्रतिष्ठा एक आचार्य कवि के रूप में हुयी, वहीं 'शिवा बावनी' तथा 'छत्रसाल दशक' काव्य रचनाओं के द्वारा वे रीतिकाल के वीर काव्य परम्परा के प्रवर्तक के रूप में स्मरण किये जाते हैं।

हिन्दी साहित्य में स्थान - रीतिकालीन युग की शृंगारिक प्रवृत्ति का तिरस्कार कर वीर रस के काव्य का सृजन करनेवाले रीतिकालीन कवि भूषण का नाम वीर रस के कवियों में सर्वप्रथम लिया जाता है। यद्यपि कविवर भूषण अपने युग ( रीतिकालीन युग) को लक्षण-ग्रन्थ परम्परा एवं अन्य प्रवृत्तियों से सर्वथा मुक्त नहीं थे और इनके काव्य में भी रस, छन्द, अलंकार आदि का प्रयोग शास्त्रीय रूप में हुआ है, तथापि इन्होंने तत्कालीन विलासितापूर्ण शृंगारिकता को त्यागकर राष्ट्रप्रेम और वीरोचित भावों से युक्त काव्य-रचना की। जातीय एवं राष्ट्रीय भावनाओं को सशक्त अभिव्यक्ति एवं अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करनेवाले लोकनायकों-शिवाजी एवं छत्रसाल के वीरोचित गुणों का प्रकाशन इनके काव्य का मुख्य विषय रहा है। अपने काव्यों में वीर रस एवं राष्ट्रीय भाव को विशिष्ट तथा सशक्त अभिव्यक्ति देने के कारण कविवर भूषण को हिन्दी साहित्य का 'सर्वप्रथम राष्ट्रकवि' माना जाता है।

भूषण का सम्पूर्ण काव्य वीर रस से ओत-प्रोत है। उनके काव्य की निम्नांकित विशेषताएँ उल्लेखनीय हैं-

भावपक्षीय विशेषताएँ

इस प्रकार की साहसपूर्ण यश गाथाओं के आधार पर भूषण ने भारतीय संस्कृति की रक्षा की प्रेरणा दी है और हिन्दू धर्म को प्रतिस्थापित किया है। वास्तव में वीर रस की दृष्टि से भूषण का काव्य सर्वश्रेष्ठ है।

1. सजीव युद्ध - वर्णन - महाकवि भूषण ने शिवाजी की सेना के प्रस्थान, चतुरंगिणी सेना के कौशल और युद्धों के सजीव चित्र अंकित किए हैं। इसका कारण यह है कि भूषण ने युद्धों को बहुत निकट से देखा था। यद्यपि इन वर्णनों में अतिशयोक्ति का पुट है, तथापि कवि का कौशल दर्शनीय है। सेना के प्रस्थान का यह वर्णन देखिए-

ऐलफैल खेलभैल खलक में गैलगैल,
गजन की ठैलपैल सैल उलसत हैं।
तारा सो तरनि धूरि धारा में लगत जिमि,
थारा पर पारा पारावार यों हलत हैं।

इसी प्रकार युद्ध का वर्णन करते हुए भूषण लिखते हैं-

खाने फहराने घहराने घण्टा गजन के,
नाहीं ठहराने रावराने देसदेस के।

2. राष्ट्रीय भावना - भूषण का काव्य राष्ट्रीय भावना पर आधारित है। कुछ आलोचकों ने उन पर साम्प्रदायिक होने का आरोप लगाया है। ऐसे लोगों का मत है कि भूषण ने साम्प्रदायिकता के वशीभूत होकर हिन्दुत्व की रक्षा और हिन्दू-संस्कृति के चित्रण में ही अपने काव्य की इतिश्री की है। लेकिन ये आलोचक यह भूल जाते हैं कि उस समय क्रूर मुगल सम्राट् औरंगजेब हिन्दुओं पर घोर अत्याचार कर रहा था। अनेक हिन्दुओं को मुसलमान बनाया जा रहा था और उनके मन्दिर नष्ट किए जा रहे थे। ऐसे समय में यदि भूषण का उद्देश्य शिवाजी की वीरता का वर्णन कर भारतीय धर्म और संस्कृति की रक्षा करना था तो वह निःसन्देह उचित ही था। भूषण ने अत्याचारियों के नाश हेतु शिवाजी को प्रत्येक दृष्टि से उत्साहित एवं प्रेरित किया है। इसीलिए ये उनकी प्रशंसा करते हुए कहते हैं-

वेद राखे विदित पुरान राखे सारयुत,
राम नाम राख्यो अति रसना सुघर मैं।

3. युग का प्रतिनिधित्व - भूषण ने अपने युग के संघर्ष का प्रभावशाली चित्रण किया है। औरंगजेब के अत्याचारों का वर्णन करते हुए इन्होंने भारतीय राजपूतों के आपसी वैमनस्य की ओर भी संकेत किया है-

आपस की फूट ही तै सारे हिन्दुआन टूटे।

भूषण ने विदेशी शक्तियों के सिर उठाने और शिवाजी द्वारा उनको आतंकित करने का भी वर्णन किया है-

तेरी धाक ही तें नित हवसी फिरंगी और,
विलाइती बिलन्दे करें वारिधि विहरनो।

इस प्रकार भूषण ने रीतिकाल में भी ओजपूर्ण काव्य का प्रभावशाली प्रतिनिधित्व किया है।

4. वीर रस - वीर रस के कवियों में भूषण का नाम अग्रगण्य है। उन्होंने महाराज छत्रसाल और शिवाजी की वीरता का अनेक प्रकार से वर्णन किया है। शिवाजी की चतुरंगिणी सेना (पैदल, घुड़सवार, हाथी - सवार तथा रथ - सवार) के प्रस्थान और रणकौशल के वर्णन में भूषण को बहुत सफलता मिली है—
साजि चतुरंग सैन अंग मैं उमंग धारि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं।

शत्रु- पक्ष की व्याकुलता, दीनता और खीझ का भी भूषण ने अत्यन्त हृदयस्पर्शी चित्रण किया है। औरंगजेब के अत्याचार भी उनकी दृष्टि से छिपे नहीं रहे। शिवाजी के साथ-साथ उन्होंने छत्रसाल की तलवार का भी सशक्त रूप में वर्णन किया है-

भुज भुजगेस की वै संगिनी भुजंगिनी-सी,
खेदि खेदि खाती दीह दारून दलन के।

5. अन्य रस - भूषण ने वीर रस के सहयोगी रसों के रूप में भयानक और रौद्र रस की सुन्दर व्यंजना की है। इसके अतिरिक्त वीभत्स, करुण एवं श्रृंगार रसों के वर्णन भी यत्र-तत्र मिलते हैं। शिवाजी के क्रोध का वर्णन करते हुए कवि ने रौद्र रस का सुन्दर रूप प्रस्तुत किया है-

सबन के ऊपर ही ठाढ़ो रहिबों के जोग,
ताहि खरो कियो छह हजारन के नियरे।
जानि गैर मिसिल गुसीले गुस्सा धारि उर,
कीन्हों न सलाम न वचन बोले सियरे ॥

कलापक्षीय विशेषताएँ – भूषण के काव्य की कलापक्षीय विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

1. भाषा - भूषण ने ब्रजभाषा में काव्य-रचना की है, जिसमें अरबी, फारसी, प्राकृत, बुन्देलखण्डी और खड़ीबोली आदि के शब्दों के भी प्रयोग किए गए हैं। इनकी भाषा में ओज गुण सर्वत्र विद्यमान है तथा कहीं-कहीं शब्दों को इच्छानुसार तोड़ा मरोड़ा भी गया है। इनके काव्य में मुहावरों और लोकोक्तियों के सुन्दर प्रयोग भी देखने को मिलते हैं। इन्होंने प्रायः प्रत्येक शब्द में ध्वन्यात्मक शब्दों का प्रयोग किया है।

शैली - भूषण की वर्णन शैली के दो रूप उपलब्ध होते हैं -

(1) विवेचनात्मक शैली और
(2) विवरणात्मक शैली।

भूषण ने विवेचनात्मक शैली का ही अधिक प्रयोग किया है। इनकी विवेचनात्मक शैली संशिष्ट है और यह इनकी सबसे अधिक परिमार्जित शैली है। 'शिवराज भूषण' में इस शैली का ही अधिकांशतः प्रयोग हुआ है। 'रायगढ़' के वर्णन में भूषण ने इसी शैली का प्रयोग किया है।

3. छन्द -  भूषण ने कवित्त, सवैया, दोहा और छप्पय आदि छन्दों को अपने काव्य का आधार बनाया है।

4. अलंकार -  भूषण की कविता में अलंकारों का प्रयोग सर्वथा स्वाभाविक है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, यमक, वक्रोक्ति अलंकारों की तो भरमार है। पदमैत्री एवं ध्वन्यात्मकता तो मानो इनकी भाषा के अभिन्न अंग है। रूपक, उदाहरण, दृष्टान्त, अतिशयोक्ति, उत्प्रेक्षा आदि अर्थालंकार भी भाषा - सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं। परन्तु विशेषता यह है कि इन अलंकारों का प्रयोग सर्वथा स्वाभाविक ही है। छत्रसाल-प्रशंसा में निम्नलिखित वर्णन में अनुप्रास, यमक, पदमैत्री, पुनरुक्ति प्रकाश, उदाहरण तथा सम्बन्धातिशयोक्ति अलंकारों का स्वाभाविक स्फुटन देखते ही बनता है--

रैयाराव चंपत्ति के छत्रसाल महाराज,
भूषन सकै करि बखान को बलन के।
पच्छी पर छीने ऐसे परे पर छीने बीर,
तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के।

भूषण ने अनेक अलंकारों का सुन्दर प्रयोग किया है। इस दृष्टि से अनुप्रास, यमक, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा एवं अतिशयोक्ति आदि अलंकार प्रमुख है। यमक अलंकार का एक उदाहरण द्रष्टव्य है-

ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहनवारी,
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।

हिन्दी - साहित्य में स्थान-रीतिकालीन कवियों में भूषण विशिष्ट स्थान के अधिकारी हैं। भूषण- की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्होंने घोर विलासिता के युग में शिवाजी एवं छत्रसाल की वीरता, शौर्य एवं पराक्रम का वर्णन करके सुप्त राष्ट्रीयता की भावना को जाग्रत किया और जन-जन में वीरता के भावों का संचार किया।

वस्तुतः भूषण का काव्य वह अमर काव्य है, जो युग-युग तक लोगों में बल, पौरुष एवं साहस भरता रहेगा। वे हिन्दी - साहित्य के प्रथम राष्ट्रीय कवि हैं और उनका काव्य हिन्दी में रचित सर्वप्रथम राष्ट्रीय काव्य है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
  2. प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
  3. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
  5. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
  6. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
  9. अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
  10. प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  11. प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
  12. प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
  14. प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  16. अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
  17. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  18. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  19. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
  21. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
  22. अध्याय - 4 भूषण
  23. प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
  24. प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
  25. प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
  26. प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
  27. प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
  28. अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
  29. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  31. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
  32. प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  33. प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
  34. अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  35. प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
  38. प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
  40. प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
  41. अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
  42. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
  43. प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
  46. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
  48. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  49. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
  50. अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
  51. प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
  52. प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
  53. प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
  54. प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
  55. प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
  56. प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  57. प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
  58. अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  59. प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
  60. प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
  62. प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  63. प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  66. प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
  68. प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
  69. अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
  70. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  71. प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
  72. प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
  73. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
  74. प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
  75. प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
  76. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
  77. अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
  78. प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
  80. प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
  81. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
  82. अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
  83. प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  84. प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  86. प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
  87. प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  88. अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
  89. प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
  90. प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
  91. प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
  92. प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
  93. प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
  95. प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  96. प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
  97. अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
  98. प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
  100. प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
  101. प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
  102. अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
  103. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
  105. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
  106. प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  107. अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
  108. प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  109. प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  110. प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
  111. अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
  112. प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
  114. प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
  115. प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  116. अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
  117. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
  120. प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
  121. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
  122. प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
  123. अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
  124. प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  125. प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
  126. प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
  127. प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
  128. प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
  129. प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
  130. अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
  131. प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  132. प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
  133. प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
  135. प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
  136. अध्याय - 21 कवि प्रदीप
  137. प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
  138. प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
  139. प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
  140. प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
  141. प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
  142. प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
  143. अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
  144. प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
  145. प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
  146. प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
  147. अध्याय - 23 प्रेम धवन
  148. प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  149. प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
  150. प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
  151. प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
  152. अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
  153. प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  154. प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
  155. प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  156. प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
  157. अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
  158. प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  159. प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
  160. अध्याय - 26 गुलशन बावरा
  161. प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
  163. अध्याय - 27 इन्दीवर
  164. प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
  165. प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
  166. प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
  167. अध्याय - 28 प्रसून जोशी
  168. प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
  169. प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
  170. प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book